Saturday, April 19, 2025

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Inverter AC vs Non-Inverter AC – सही क्या है? जानिए सच्चाई, बिना घुमाए!

गर्मी आई नहीं कि AC की डिमांड आसमान छूने लगती है। हर साल एक ही सवाल – कौन-सा AC लें Inverter AC vs Non-Inverter AC?

अब ऑप्शन भी कम नहीं हैं – विंडो हो या स्प्लिट, 3 स्टार हो या 5 स्टार, सबका कन्फ्यूजन चलता है।

लेकिन असली लड़ाई अब है – इन्वर्टर AC बनाम नॉन-इन्वर्टर AC।

क्या इन्वर्टर AC मतलब वो AC जो इन्वर्टर से चलता है?

बिलकुल नहीं, भाई! नाम सुनकर धोखा मत खाइए।

इन्वर्टर AC का मतलब होता है – उसका कंप्रेसर स्मार्ट तरीके से चलता है। ये लगातार चलता रहता है, लेकिन अपनी स्पीड घटा-बढ़ा कर, ताकि बिजली की बचत हो और कूलिंग भी फास्ट मिले।

फायदे क्या हैं इन्वर्टर AC के?

बिजली की खपत कम

कूलिंग जल्दी और स्मूद

कम आवाज़

लंबी उम्र (क्योंकि बार-बार ऑन/ऑफ नहीं होता)

इसे आप कार की तरह समझिए – अगर गाड़ी हर बार स्टार्ट-स्टॉप करेगी तो फ्यूल भी ज़्यादा लगेगा और इंजन भी जल्दी थकेगा। लेकिन एक बार स्मूद तरीके से चल रही है तो माइलेज भी अच्छा और चलने का मजा भी।

तो नॉन-इन्वर्टर AC क्यों लोग लेते हैं?

सीधी बात – दाम कम होता है।

नॉन-इन्वर्टर AC पुराने स्टाइल के होते हैं। इनका कंप्रेसर ऑन-ऑफ होता रहता है, जिससे बिजली ज्यादा लगती है। लेकिन कीमत थोड़ी कम होती है।

तो लेना क्या चाहिए ?

अगर बजट फ्लेक्सिबल है और आप लॉन्ग टर्म में बिजली बिल बचाना चाहते हैं, तो इन्वर्टर AC बेस्ट है।

अगर आप थोड़ा कम खर्च करना चाहते हैं, तो नॉन-इन्वर्टर भी ठीक है, बस बिजली का बिल थोड़ा भारी आ सकता है।

“फैसला आपका, लेकिन जानकारी पूरी होनी चाहिए”

नई टेक्नोलॉजी बुरी नहीं होती, लेकिन हर किसी की जरूरत और पॉकेट अलग होती है।

AC लेने से पहले ये समझना ज़रूरी है कि आप किस चीज़ को प्रायोरिटी दे रहे हैं – कूलिंग, बजट, बिजली बिल या लॉन्ग टर्म में फायदा।

और किनको इन्वर्टर AC लेना चाहिए?

अगर आप दिन में 6-8 घंटे या उससे ज़्यादा AC चलाते हैं

अगर बिजली का रेट आपके एरिया में हाई है

अगर आप 5 साल+ के लिए इंवेस्ट करना चाहते हैं

अगर साइलेंस और बेहतर कूलिंग चाहिए

और नॉन-इन्वर्टर किनके लिए?


अगर यूसेज कम है (दिन में 2-4 घंटे)

अगर बजट टाइट है

अगर घर किराये का है और आप जल्द शिफ्ट करने वाले हैं

Bottom Line
“अगर रोज़ दाल में घी डालना है, तो शुरुआत में थोड़ा ज़्यादा खर्च करना बेहतर है। लेकिन अगर महीने में ही एक-दो बार बनती है, तो सिंपल दाल भी ठीक।”

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Darshan Choudhary
Darshan Choudharyhttp://www.uncutdilli.com/
दिल्ली मेरी बीट है, इसकी धड़कन मेरी कहानी। मैं हूँ दर्शन चौधरी—अनकट दिल्ली ऑनलाइन में एडिटर हैं। पत्रकारिता में एक दशक से ज़्यादा वक्त बिताया, राजनीति से लेकर पॉलिसी तक, टेक्नोलॉजी से लेकर ट्रैफिक तक, दिल्ली की गलियों से संसद के गलियारों तक—हर मोर्चे पर नज़र है। मैंने अनेक बड़े डिजिटल मीडिया हाउस और प्लेटफॉर्म्स के लिए काम किया है, लेकिन मेरा असली जुड़ाव है उन कहानियों से जो आपकी ज़िंदगी को छूती हैं—हर स्टोरी के पीछे एक आवाज़ होती है, और मैं उसे आप तक पहुँचाने की कोशिश करता हूँ। टेक्नोलॉजी की समझ भी साथ है, क्योंकि आज की दिल्ली सिर्फ राजनीति से नहीं, डेटा और डिजिटल से भी बनती है। और जब थोड़ा वक़्त बचता है, तो कुकिंग कर लेता हूँ। लेकिन सच कहूं, मन आज भी मेरा मेरे गांव में ही बसता है।

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